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Thursday, August 27, 2009

इनसे कुछ सीखो

अरे ओ मानव देख तेरा भविष्य तुझपे हंस रहा है अरे ओ बुध्धिमान मुर्ख ये तू क्या कर रहा है

अरे सेख चिल्ली के वंशज जिस डाल पैर बैठा है उसी को काट रहा है

अरे आ गया है वक्त चुका दे अहसान दिखा दे स्वाभिमान लगा दे एक पेड़ बना दे एक मेड

पूरा कर दे फर्ज उतार दे धरती माँ का कर्ज अरे ओ धरती माँ के कपूत बहुत दिया है माँ ने अब और मत लूट

अरे कुत्ता भी जहा बैठता है...................................

Monday, August 17, 2009

आज से नही अभी से .........संकल्प लीजिये मेरे साथ

जल संरक्षण करना है
पेड़ लगाना है
उर्जा संरक्षण करना है
प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करना है
पर्यावरण मित्र बनना है

प्रकृति क्या कह रही है सुनो समझो

१- सूखा

२-भूकंप

३-बढता तापमान

४-समुद्री तूफ़ान

५-बाढ़

६-फटती धरती

७-पिघलते ग्लेशिअर

विकल्प क्या .......???????????

बस और बस "पर्यावरण संरक्षण"

प्रकृति क्या कह रही है सुनो समझो

सोच को बदलो तो दुनिया बदल जायेगी

मित्रो ,
जिस तरह ये जीवन अनमोल है उसी तरह हमारा ये पर्यावरण भी अनमोल है अगर ये पर्यावरण नस्ट हुआ तो हम और आप भी इस के साथ नस्ट हों जायेंगे
हमे उर्जा और जल संरक्षण करना होगा क्यूँ की ये सब हमारी धरती पर सीमित मात्रा मैं ही बचे हैं आओ मित्रो अब देर न करो और मेरे साथ जुड़ जाओ क्यूँ की जब मैं ये सब कर रहा हूँ तो आप क्यूँ नही कर सकते आप भी कर सकते हैं बस अपनी सोच को अभी बदल डालिए और पर्यावरण संरक्षण मैं मेरे अभियान के साथ जुड़ जाइये /
आपका बहुत बहुत स्वागत है
धन्यवाद .

soch ko badlo

Saturday, August 8, 2009

अब समय बहुत कम बचा है

जरा सोचिए........?????????? अभी नही तो कभी नही
वक्त बहुत कम है और काम बहुत करना है आज ही संकल्प लीजिये की पर्यावरण को हर हाल में बचाना है

आपका स्वागत है

पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ आइये और इस पर्यावरण संरक्षण के इस महायज्ञ में मेरा साथ दीजिये
धन्यवाद
आप सबका
आशीष त्रिपाठी
आशीष त्रिपाठी आप सभी का हार्दिक स्वागत करते हैं
ashish

paryavaran

paryavaran
ocean ke saath judne ke liye aapka dhanyavad

PARYAVARAN SANRAKSHAN

OCEAN ek sanstha nahi balki ek sankalp hai ek nai disha k ek naye yug ka jisme hum or aap ko jeevit rahna hai paryavaran sanrakshan ke liye ek samarpit sanstha hai ocean,jisme aap sabhi k amulya sujhav aamantrit hain kripya hamare sssth is paryavaran sanrakshan k maha yagya ki sampuran aahuti main bad chad kar sahbhagita kijiye

sadhanyavad

Ashish Tripathi (Gen.Sec) OCEAN