Saturday, October 17, 2009
कृपया याद रखें ........
याद रहे पर्यावरण से ही हमारा जीवन जुदा है इसलिए इसे स्वच्छ रखना भी हमारी जिम्मेदारी है
धन्यवाद
आपका आशीष त्रिपाठी
Monday, October 5, 2009
बहुत देर हो चुकी है दोस्तों .......
धन्यवाद
आपका सबका शुभचिंतक
आशीष त्रिपाठी (महासचिव) 'ओशन ' इटावा
Saturday, October 3, 2009
सावधान हो जाइये ...........
वैज्ञानिकों का कहना है की उत्तर भारत मैं भी ८.० रिक्टर तक तीब्रता वाले भूकंप आने की संभावना जताई जा रही है और ये भूकंप कभी भी आ सकता है
मित्रो ये संकेत हम सबके लिए शुभ नही है अगर ऐसा हुआ तो बहुत ही ज्यादा नुक्सान हो सकता है इसलिए हमे सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता है
आज जल के अति दोहन और पर्यावरण को अति से ज्यादा नुकसान पंहुचा कर हमने ख़ुद ही ये स्थति उत्पन्न कर दी है अब हमारे हाथ मैं कुछ नही है सिवा पछताने के और मूक दर्शक बनकर सारा विनाश देखने के
अभी भी समय है बचा लीजिये इस प्रथ्वी को .........वरना हमारी आने वाली नस्लें हमे कभी माफ़ नही करेंगी
आइये मेरे इस पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान मैं आप भी शामिल हो जाइये
धन्यवाद .
Wednesday, September 23, 2009
Thursday, September 3, 2009
आदि काल से आज तक पवित्र है ये नदियाँ इन्हे इनकी पवित्रता प्रदान कीजिये
अन्तिम विकल्प .........???????????????
हम से ही पोल्लुशन है
न कोई सोल्लुशन है
बस हम सब ही सोल्लुशन है
कभी सोचा क्या ........???????
जरा सोचिए ......////////////////???????????????
सही है न तो फिर आइये और मिल कर मेरे साथ इस समस्या का स्थाई हल निकल कर अपनी प्रकृति को हरा भरा और सुंदर बनाम का प्रयास कीजिये ।
धन्यवाद
Thursday, August 27, 2009
इनसे कुछ सीखो
अरे ओ मानव देख तेरा भविष्य तुझपे हंस रहा है अरे ओ बुध्धिमान मुर्ख ये तू क्या कर रहा है
अरे सेख चिल्ली के वंशज जिस डाल पैर बैठा है उसी को काट रहा है
अरे आ गया है वक्त चुका दे अहसान दिखा दे स्वाभिमान लगा दे एक पेड़ बना दे एक मेड
पूरा कर दे फर्ज उतार दे धरती माँ का कर्ज अरे ओ धरती माँ के कपूत बहुत दिया है माँ ने अब और मत लूट
अरे कुत्ता भी जहा बैठता है...................................
Saturday, August 22, 2009
Monday, August 17, 2009
आज से नही अभी से .........संकल्प लीजिये मेरे साथ
पेड़ लगाना है
उर्जा संरक्षण करना है
प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करना है
पर्यावरण मित्र बनना है
प्रकृति क्या कह रही है सुनो समझो
१- सूखा
२-भूकंप
३-बढता तापमान
४-समुद्री तूफ़ान
५-बाढ़
६-फटती धरती
७-पिघलते ग्लेशिअर
विकल्प क्या .......???????????
बस और बस "पर्यावरण संरक्षण"
सोच को बदलो तो दुनिया बदल जायेगी
जिस तरह ये जीवन अनमोल है उसी तरह हमारा ये पर्यावरण भी अनमोल है अगर ये पर्यावरण नस्ट हुआ तो हम और आप भी इस के साथ नस्ट हों जायेंगे
हमे उर्जा और जल संरक्षण करना होगा क्यूँ की ये सब हमारी धरती पर सीमित मात्रा मैं ही बचे हैं आओ मित्रो अब देर न करो और मेरे साथ जुड़ जाओ क्यूँ की जब मैं ये सब कर रहा हूँ तो आप क्यूँ नही कर सकते आप भी कर सकते हैं बस अपनी सोच को अभी बदल डालिए और पर्यावरण संरक्षण मैं मेरे अभियान के साथ जुड़ जाइये /
आपका बहुत बहुत स्वागत है
धन्यवाद .
Saturday, August 8, 2009
अब समय बहुत कम बचा है
वक्त बहुत कम है और काम बहुत करना है आज ही संकल्प लीजिये की पर्यावरण को हर हाल में बचाना है
आपका स्वागत है
धन्यवाद
आप सबका
आशीष त्रिपाठी
PARYAVARAN SANRAKSHAN
OCEAN ek sanstha nahi balki ek sankalp hai ek nai disha k ek naye yug ka jisme hum or aap ko jeevit rahna hai paryavaran sanrakshan ke liye ek samarpit sanstha hai ocean,jisme aap sabhi k amulya sujhav aamantrit hain kripya hamare sssth is paryavaran sanrakshan k maha yagya ki sampuran aahuti main bad chad kar sahbhagita kijiye
sadhanyavad
Ashish Tripathi (Gen.Sec) OCEAN